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Gaurav verma

Monday, November 21, 2005

मोती ,...

तेरी आंखो के समंदर में कदम रखूँ भी तो कैसे,
आज ही मैने किनारों पर बिखरे हुए मोती देखे हैं,
पर जाना नही तुमने इन मोतियों का मोल,
शायद तभी ये मोती हमने बहते हुए भी देखे हैं,
तेरी आँखो में ताउम्र खुशियाँ देखने की चाह है मेरी,
मेरी फिक्र के जज्बात तो हमेशा देखे हैं,...

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इरादे और ख्वाब ,..

इरादों और ख्वाबों में बहुत छोटा सा अंतर होता है,
पर जानता नहीं,कि इरादे ख्वाबों से आते हैं या ख्वाब इरादों से,
जानने का आज कोई तरीका भी तो नहीं,
मेरे इरादों में भी तुम हो और ख्वाबों में भी तुम ,...

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इक टुकडा दिल का,...

इस दिल को कैसे तेरी यादो से दूर ले जाऊँ,
तुझे याद ना करे इतना,कैसे मै इसको ये समझाऊँ,
पर क्या करें,ये दिल भी मजबूर है,
क्योंकि इसका भी इक टुकडा इतने दिनों से उससे दूर है ।

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कल और आज

आज,जब गुजरे हुये कल की याद आयी,
दिल मे तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी याद आयी,
इस बार न आया कोई बीते वक्त का बुरा सपना,
पर कल क्या होगा,इससे डर गया दिल अपना,
जो भी हो,जैसा भी हो,
मैने अपना हर कल तेरे नाम लिखा,
पर कल का क्या भरोसा,
इसलिये मैने आने वाला हर आज तेरे नाम लिखा ।

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