लो ठहर गई हवा,..
लो ठहर गई हवा,रुख का पता नही,
चल दिये हम,मंजिल का पता नही,
मिल गया जो राह में,संग चल दिया,
जाना कहाँ है हमे,हमे खुद पता नही,
नश्तर चुभे है हमारे दिलो-दिमाग में,
जिंदगी लुभा रही है,दवा का पता नही,
ना जाने किस मोड पर मिल जाये खो चुका है जो,
बेखबर है निगाहें,निशां का पता नही,
कुछ खो दिया है हमने,कुछ जमाने ने ले लिया है,
बचा है दामन में क्या,हमें खुद पता नही ।
चल दिये हम,मंजिल का पता नही,
मिल गया जो राह में,संग चल दिया,
जाना कहाँ है हमे,हमे खुद पता नही,
नश्तर चुभे है हमारे दिलो-दिमाग में,
जिंदगी लुभा रही है,दवा का पता नही,
ना जाने किस मोड पर मिल जाये खो चुका है जो,
बेखबर है निगाहें,निशां का पता नही,
कुछ खो दिया है हमने,कुछ जमाने ने ले लिया है,
बचा है दामन में क्या,हमें खुद पता नही ।
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